ग़ज़ल
दिल बेचते हैं आँख नाक कान बेचते हैं
पैसा मिले तो पूरा इंसान बेचते हैं
जोरों पे चल रहा है धंदा हमारा यारो
कवियों को आजकल हम सम्मान बेचते हैं
चड्डी से चाँद तक भी, जो चाहिए खरीदो
किश्तों में आजकल हर सामान बेचते हैं
हम बेचना भी चाहें बिकता ही नही अब ये
सस्ते में जब से नेता ईमान बेचते हैं
गाड़ी खरीदनी है अब चार पहियों वाली
आओ की बज़ुर्गों का खलियान बेचते हैं
दादी के ख़ास नुस्खे नानी की कहानी तक
हमको वो हमारा ही सामान बेचते हैं
हम से ही ठग के खाना आँखें हमे दिखाना
वल्लाह इस अदा पर हम जान बेचते हैं
चूना लगा के उस को कत्थे से ढक दिया है
हम शेर कह रहे हैं या पान बेचते हैं
ऐ पेट तुमसे बढ के बेशर्म हैं ये नेता
अपने वतन की आन बाण शान बेचते हैं
Friday, February 26, 2010
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subhan alla.......keep it up dear
ReplyDeletebahut umda, blog jagat men swagat.
ReplyDeleteWonderful...
ReplyDeletelifemazedar.blogspot.com
हम से ही ठग के खाना आँखें हमे दिखाना
ReplyDeleteवल्लाह इस अदा पर हम जान बेचते हैं
Harek pankti gazab hai!
दिल बेचते हैं आँख नाक कान बेचते हैं
ReplyDeleteपैसा मिले तो पूरा इंसान बेचते हैं
wah!
इस नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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