Sunday, March 7, 2010

फ़ैशनेबल शहर की दिल को चुराती औरतें - महिला दिवस पर

ग़ज़ल

देखा करता हूँ सड़क पर आती जाती औरतें

फ़ैशनेबल शहर की दिल को चुराती औरतें

अपने शौहर से न जाने क्यों रहें नाराज़ ये

दूसरे मर्दों से मिलते मुस्कुराती औरतें

चाट का ठेला लगाना चाहता हूँ मैं भी अब

चाट पर रहती हैं हरदम भिनभिनाती औरतें

मैं भी क्रिकेट खेलता तो हूँ गली की टीम में

मेरे पीछे क्यों नहीं चक्कर लगाती औरतें

रात दिन इमरान* जो अमृत गटागट पी रहा

हमको भी काश बो अमृत पिलाती औरतें

( श्री श्री इमरान हाशमी जी महाराज)

बाद शादी के

न जाने क्या हुआ है

पेट को

खाब में

-आ के उसको हैं डराती

औरतें

1 comment:

  1. हा हा! सही है लगे रहिये...


    विश्व की सभी महिलाओं को अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

    ReplyDelete